भोपालगढ़। मकर संक्रांति का त्योहार उपखंड क्षेत्र सहित शहर में बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस पर्व पर मुख्य रुप भगवान सूर्यदेव की पूजा की जाती है। इसके साथ ही मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की खास परंपरा है। इस दिन पूरा आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है। राजस्थान में मकर संक्रांति का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है। शहर में सुबह से ही युवा पतंगबाजी करते हुए नजर आ रहे है। आसमान में धीरे-धीरे सभी तरह के रंग भरना शुरू हो गया है। छतों पर लोगों की चहल-पहल और पतंगबाजी का उत्साह देखने लायक है। डीजे लगाकर युवा ‘ये काटा, वो मारा’ के स्लोगन लगा रहे हैं। संक्रांति के दिन दान-पुण्य का बहुत महत्व माना जाता है। ऐसे में लोग गौशाला पहुंचकर गायों का चारा खिला रहे हैं। अपने-अपने आराध्य के दर्शन के लिए मंदिर पहुंच रहे है।शहर के दाता साहेब , बाबा रामदेव जी , शिव महादेव, ठाकुर जी लाल दास जी सांवरा जी हनुमान जी मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लग रही है।
दिन बड़े और रातें छोटी हो होने लगेगी।
मकर संक्रांति सूर्य देवता को समर्पित त्योहार है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है, जिससे दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। पतंग उड़ाना सूर्य को अर्पण और उसकी शक्ति को महसूस करने का प्रतीक माना जाता है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
माना जाता है कि पतंग उड़ाने से बुरी शक्तियां दूर होती हैं। पतंग का आसमान में उड़ना शुभता और नई ऊंचाइयों का प्रतीक है। यह सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
परंपरा का हिस्सा।
पतंगबाजी मकर संक्रांति का सांस्कृतिक हिस्सा है। प्राचीन समय से ही राजा-महाराजा और आम जन इस परंपरा का पालन करते आ रहे हैं। समय के साथ यह परंपरा और भी प्रचलित हो गई।
मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का आनंद ।
इस दिन लोग अलग-अलग रंगों और डिजाइनों की पतंगों से आसमान को सजाते हैं। ‘काइट फेस्टिवल’ जैसे आयोजन गुजरात के अहमदाबाद और राजस्थान के जयपुर में बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं। यह न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का प्रयास भी है।
मौसम परिवर्तन और स्वास्थ्य लाभ।
मकर संक्रांति सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का संकेत देती है। इस समय सूर्य की किरणें स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी होती हैं। खुले आसमान में पतंग उड़ाने से लोग धूप का आनंद लेते हैं, जिससे शरीर को विटामिन-डी प्राप्त होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।