भारत के सबसे महान संत और दार्शनिकों में से एक स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 कलकत्ता में हुआ था। स्वामी जी की जयंती के उपलक्ष्य में हर साल देश में 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। विवेकानंद संत रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे। वेदांत और योग पर भारतीय दर्शन से पश्चिमी दुनिया का परिचय कराने वाली वह एक प्रमुख हस्ती थे। स्वामी विवेकानंद को 19वीं सदी के अंत में हिंदू धर्म को दुनिया के प्रमुख धर्मों में स्थान दिलाने का श्रेय जाता है। उन्होंने अपने गुरु की याद में रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
स्वामी विवेकानंद को 1893 में अमेरिका के शिकागो में हुई विश्व धर्म संसद में दिए गए उनके भाषण की वजह से सबसे ज्यादा याद किया जाता है। जब विवेकानंद ने दुनिया भर के धार्मिक नेताओं की मौजूदगी में, ”अमेरिकी बहनों और भाइयों” के साथ जो संबोधन शुरू किया तो आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो में कई मिनट तक तालियां बजती रहीं। इस धर्म संसद में उन्होंने जिस अंदाज में हिंदू धर्म का परिचय दुनिया से कराया, उससे स्वामी जी पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गए।
कलकत्ता (अब कोलकाता) में जन्मे स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। उनका बचपन से ही झुकाव आध्यात्म की ओर था। 1881 में विवेकानंद की मुलाकात रामकृष्ण परमहंस से हुई और वही उनके गुरु बन गए। अपने गुरु रामकृष्ण से प्रभावित होकर उन्होंने 25 साल की उम्र में संन्यास ले लिया। संन्यास लेने के बाद उनका नाम स्वामी विवेकानंद पड़ा। 1886 में रामकृष्ण परमहंस का निधन हो गया था। जिसके बाद विवेकानंद ने 1897 में कोलकाता में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी। इसके एक साल बाद उन्होंने गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की।