भोपाल। भोपाल में हुई दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक गैस त्रासदी को लेकर पहले ही अंदेशा जताते हुए यहां के एक वकील ने इस घटना के लगभग 21 माह पहले ‘यूनियन कार्बाइड कंपनी’ को एक नोटिस भेजा था जिसमें लोगों के स्वास्थ्य पर मंडरा रहे खतरे का हवाला देते हुए कंपनी से कीटनाशक संयंत्र में जहरीली गैसों का उत्पादन बंद करने के लिए कहा गया था। बहरहाल, अमेरिका की बहुराष्ट्रीय कंपनी ने उनके आरोपों को खारिज कर दिया था लेकिन उसकी यही लापरवाही 1984 में दो और तीन दिसंबर की दरमियानी रात को हुई भयानक गैस रिसाव त्रासदी के रूप में भयावह साबित हुई। इस संयंत्र से अत्यधिक जहरीली गैस ‘मिथाइल आइसोसाइनेट’ के रिसाव के कारण 5,479 लोगों की जान चली गई और पांच लाख से अधिक लोग अपंग हो गए।
वकील शाहनवाज खान ने चार मार्च 1983 को ‘यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड’ (यूसीआईएल) को एक नोटिस भेजा था, जिसमें आसपास रहने वाले 50,000 लोगों के स्वास्थ्य पर खतरे का हवाला देते हुए जहरीली गैसों का उत्पादन बंद करने के लिए कहा गया था लेकिन यूसीआईएल ने अपने सुरक्षा तंत्र को दुरुस्त करने के बजाय 29 अप्रैल 1983 को खान को दिए जवाब में उनकी चिंताओं और आरोपों को ‘‘निराधार’’ बताकर खारिज कर दिया था।यूसीआईएल के भोपाल इकाई के कार्य प्रबंधक जे मुकुंद ने जवाब के अंतिम पैरा में लिखा था, ‘‘हम आपके चार मार्च 1983 के नोटिस में लगाए गए सभी आरोपों को एक बार फिर खारिज करते हैं और अगर आप हमारे खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई करते हैं तो हम भी इसका उचित जवाब देंगे।’’ भोपाल के निवासी वकील शाहनवाज स्वतंत्रता सेनानी खान शाकिर अली खान के भतीजे हैं। शाकिर अली खान यहां से चार बार विधायक रहे और ‘‘शेर-ए-भोपाल’’ के नाम से लोकप्रिय हुए।