धौलपुर। देश मे दत्तकग्रहण हिन्दू एडॉप्शन एन्ड मेंटिनेंस एक्ट तथा किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत किया जाता है, जिसमे अनाथ, परित्यक्त और अभ्यर्पित बच्चो का दत्तकग्रहण केवल किशोर न्याय (बालको की देखरेख और संरक्षण अधिनियम) 2015 के तहत विहित प्रक्रिया अनुसार ही अनुमत है। अधिनियम की पालना के बिना यदि कोई प्रसूति केंद्र, चिकित्सालय, व्यक्ति या संस्था बच्चो को दत्तकग्रहण में लेता या देता है तो वह दण्डनीय है। अधिनियम की धारा 80 के अनुसार ऐसा अपराध तीन वर्ष तक के कठोर कारावास एवं एक लाख रुपये के जुर्माने से दण्डनीय है। यदि इसमें खरीद-फरोख्त होती है तो यह उक्त अधिनियम की धारा 81 के तहत सात वर्ष तक के कठोर कारावास और एक लाख रुपये के जुर्माने से दण्डनीय है। साथ ही यदि किसी व्यक्ति या संस्था को इस प्रकार का देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाला बच्चा कहीं मिलता है तो उसका कर्तव्य है कि वह यात्रा के लिए आवश्यक समय को छोड़कर 24 घंटे के भीतर यथास्थिति बालबद्ध सेवाओ, निकटतम पुलिस थाना, बाल कल्याण समिति या जिला बाल संरक्षण इकाई को सूचित करे या बच्चे को पंजीकृत बाल देखरेख संस्था को सौंपे अन्यथा यह अधिनियम की धारा 34 के तहत 06 माह तक के कारावास और दस हजार रुपये के जुर्माने से दण्डनीय है। ऐसी स्थिति में चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर 1098 पर भी सूचना दी जा सकती है। सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई विश्व देव पांडेय ने बताया कि अनचाहे या अवांछित बच्चो के सुरक्षित परित्याग के लिए जिले में राजकीय मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य संस्थान धौलपुर, राजकीय जिला चिकित्सालय बाड़ी एव राजकीय शिशु गृह धौलपुर में पालना गृह स्थापित है। पालना गृह में छोड़े गए बच्चे के माता पिता के विरुद्ध कोई कार्यवाही नही की जाती है। इसलिए जनसामान्य से अपील की गई है कि बिना उक्त अधिनियम का पालन किये सीधे तौर पर उक्त श्रेणी के बच्चो को दत्तकग्रहण में देने या लेने का झांसा देने वालो पर विश्वास ना करे और तुरंत इसकी सूचना पुलिस और प्रशासन को दें। साथ ही अनचाहे या अवांछित बच्चो का परित्याग उक्त पालना गृहों में ही करें या बाल कल्याण समिति से समक्ष अभ्यर्पण विलेख निष्पादित करें। साथ ही जो व्यक्ति या दंपत्ति बच्चे उक्त प्रक्रिया के तहत बच्चे गोद लेना चाहते हैं, वे इसके लिये केंद्रीय दत्तकग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। वर्तमान में बच्चो की तुलना में आवेदकों की अधिकता के कारण उन्हें लगभग दो से तीन वर्ष में बच्चा पात्रतानुसार दत्तकग्रहण में प्राप्त हो सकता है।

बिना विधिक प्रक्रिया के दत्तकग्रहण दण्डनीय
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