टोंक। सर्व-विदित है कि मुकद्दर जिसका साथ दे, उसे कोई परास्त नहीं कर सकता है। यह बात देवली-उनियारा विधानसभा के हुए उप-चुनाव में विजय हुए भाजपा के राजेन्द्र गुर्जर पर खरी उतर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा द्वारा उनकी उम्मीदवारी को नकार दिये जाने के पश्चात राजेन्द्र गुर्जर को निराशा तो हुई होगी, लेकिन उनका मुकद्दर में दूसरी बार विधायकी मिलना लिखा हुआ था, उसी के परिणाम स्वरूप उनियारा से कांग्रेस के विधायक बने हरीश चन्द्र मीणा जब लोकसभा चुनाव में यहां से सांसद बने तो रिक्त हुई सीट पर होने वाले उप-चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने भरोसा जताते हुए राजेन्द्र गुर्जर पर दांव खेला था, यहां यह बताना जरूरी होगा कि कांग्रेस ने मीणा समाज के कस्तूर चंद मीणा पर दांव लगाया तो उस समय सभी राजनैतिक पंडितों को लगा था कि मुकाबला कांटे का होगा, लेकिन जब निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नरेश मीणा ने भी जब चुनाव में अपनी ताल ठोकी, उस समय से ही यह पता चल गया था कि राजेन्द्र गुर्जर की चुनावी नैय्या को निर्दलीय नरेश मीणा पार लगा देगें, और हुआ भी यही। हालांकि राजेन्द्र गुर्जर को मिले मतों 1 लाख 599 पर दृष्टि डाली जाये तो वह निर्दलीय नरेश मीणा के 59 हजार 478 एवं कांग्रेस के कस्तूर चंद मीणा के 31 हजार 385 के मुकाबले ज्यादा है, लेकिन यह भी सत्य है कि यदि यह मुकाबला सीधा होता तो माहौल अलग होता, क्योंकि नरेश मीणा की वजह से कांग्रेस कमजोर हो गई थी। इस चुनाव में मीणा समाज की राजनीति भी खुलकर सामने आई, जिन्होने पूरी तरह से स्थानीय के. सी. मीणा को नकार कर मीणा समाज के बाहरी व्यक्ति नरेश मीणा को गले लगाया। इस चुनाव के परिणाम को देखकर राजेन्द्र गुर्जर को मुक्कदर का सिकन्दर इसलिए कहा जा रहा है कि टोंक जिला भाजपा के कई दिग्गज नेताओं ने भूमिगत तरीके से राजनैतिक कार सेवा करने में कोई कमी नहीं की थी, लेकिन वह बात सच साबित हुई कि ईश्वर जिसे हंसाये, उसे कोई भी रूला नहीं सकता है। देवली-उनियारा विधानसभा चुनाव में विजयी पताका फहराकर राजेन्द्र गुर्जर दूसरी बार विधायक बनकर अपनी राजनैतिक पकड़ को मजबूत कर लिया है, वही किस्मत नरेश मीणा को भी शायद अब मीणा नेता के रूप में स्थापित करना चाहती है, इसीलिए विधानसभा के चुनाव में एक निर्दलीय उम्मीदवार को 59 हजार 478 मत मिले बड़ी बात है। नरेश मीणा ने भी अब मीणा समाज की राजनीति में अपना एक कदम आगे बड़ा दिया है, वही दौसा विधानसभा में अपने भाई जगमोहन मीणा को नही जीता पाने के कारण विधायक किरोडी लाल मीणा के पांव से मीणा समाज की जाजम खींचने का काम भी नरेश मीणा ने शुरू कर दिया है। उप-चुनाव परिणामों के बाद सभी तरफ दौसा में किरोडी के भाई की हार पर भी लोग टिप्पणी कर कह रहे है कि अब कृषि मंत्री किरोडी मीणा के द्वारा स्तीफे का क्या होगा?। टोंक में भी भाजपा की जिले में हो रही द्वेश्ता की राजनीति में भी नया उतार चढ़ाव देखने को मिलेगा, क्योंकि इस समय भाजपा वर्तमान जिलाध्यक्ष अजीत मेहता से भी कई वरिष्ठ भाजपा नेता रूठे हुए नजर आ रहे है। उनको अब गुर्जर के विधायक बनने से उन्हें नई राजनैतिक ऑक्सीजन मिल जायेगी एवं जिलाध्यक्ष मेहता के उपेक्षित व्यवहार के चलते उन नाराज भाजपा नेताओं को विधायक गुर्जर की राजनैतिक जाजम पर बैठने का सौभाग्य मिल जायेगा, जिससे टोंक भाजपा की जाजम अब दो जगह बिछने लग जायेगी। देवली-उनियारा विधानसभा उप-चुनाव के परिणाम स्वरूप भाजपा के राजेन्द्र गुर्जर को 1 लाख 599, कांग्रेस के कस्तूर चंद मीणा को 31 हजार 385, राईट-टू-रिकॉल पार्टी के योगेश कुमार शर्मा को 1 हजार 375, निर्दलीय नरेश मीणा को 59 हजार 478, प्रहलाद माली को 1 हजार 205, शकीलुर्रहमान को 1 हजार 84 मत प्राप्त हुए। वही नाटो में 1 हजार 519 मत पड़े। इस प्रकार भाजपा के राजेन्द्र गुर्जर ने निर्दलीय नरेश मीणा को 41 हजार 121 मतों से हराया, वही कांग्रेस के कस्तूर चंद मीणा तीसरे स्थान पर रहे। मतगणना के दौरान भाजपा के विजयी प्रत्याशी राजेन्द्र गुर्जर को रिटर्निंग अधिकारी शत्रुध्न गुर्जर द्वारा पद व गोपनीयता की शपथ दिलाकर कर निर्वाचन प्रमाण पत्र सौंपा। मतगणना जिला निर्वाचन अधिकारी डॉॅ. सौम्या झा व जिला पुलिस अधीक्षक विकास सांगवान की देख-रेख में निर्वाचन विभाग की टीम व पु़लिस बल की सुरक्षा के बीच सम्पन्न हुई।

देवली-उनियारा विधान सभा उप-चुनाव : भाजपा के राजेन्द्र गुर्जर बने मुक्कद्दर के सिकन्दर
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