हरियाणा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 30 सितंबर (सोमवार) से 3 अक्टूबर (गुरुवार) तक हरियाणा विजय संकल्प यात्रा शुरू की है। कांग्रेस सांसद की यह यात्रा चार दिनों में राज्य के विभिन्न जिलों से होकर गुजरने वाली है। इसका उद्देश्य स्पष्ट है, विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की स्थिति मजबूत किया जाए, लेकिन, यात्रा को लेकर किए जा रहे प्रचार और उसकी जमीनी हकीकत में बहुत अंतर है।
कांग्रेस ने घुटने टेकने शुरू किए
ऐसा लगता है कि हरियाणा में चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस के पास कोई ठोस रणनीति नहीं बची है। मतदाताओं को क्या बताना है, इस बारे में पार्टी की दुविधा दो बार चुनावी घोषणापत्र जारी करने की मजबूरी से जाहिर हो गई है। सबसे पहले कांग्रेस ने दिल्ली से घोषणापत्र जारी किया। फिर जब कांग्रेस के रणनीतिकारों को यह अहसास होने लगा कि भाजपा का घोषणापत्र पहले से ही मतदाताओं को आकर्षित कर रहा है और मतदाता इसमें काफी रुचि ले रहे हैं, तो उन्हें चंडीगढ़ से दूसरा घोषणापत्र जारी करने पर मजबूर होना पड़ा। ऐसी कमजोर रणनीति से ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी ने चुनाव से पहले ही आत्मसमर्पण करना शुरू कर दिया है।
हरियाणा संकल्प यात्रा के माध्यम से अपने कर्मों से ध्यान भटकाने का प्रयास!
जिस तरह कांग्रेस घोषणापत्र को लेकर असमंजस में है, उसी तरह लगता है कि राहुल गांधी के दौरे का मकसद भी वह नहीं है जो सतह पर दिखाने की कोशिश की जा रही है। दरअसल, ऐसा लगता है कि इसके जरिए पार्टी आम जनता का ध्यान अपनी कार्रवाइयों से भटकाने की कोशिश कर रही है।
 


