पशुधन संरक्षण में मील का पत्थर साबित हो रही 1962-मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा

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बूंदी। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मंशानुरूप राज्य में पशु संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए शुश् की गई केन्द्र प्रवर्तित योजना 1962-मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा पशुधन के संरक्षण एवं संवर्द्धन में मील का पत्थर साबित हो रही है। केन्द्र परिवर्तित यह योजना पशुपालकों के लिए भी वरदान साबित हुई है। मोबाइल पशु चिकित्सा सेवाएं राज्यभर में पशुपालन आधारित व्यवसाय के लिए महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा वाहन के माध्यम से पशुपालकों को पशुधन के उपचार की तत्काल सुविधा उपलब्ध हो रही है।
राज्य में यह योजना पशुपालक एवं मवेशियों के उपचार के क्षेत्र में बड़ा कदम साबित हो रही है। इस योजना के तहत 1962 पर कॉल करके पशुपालक अपने पशुओं का उपचार मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा वाहनों के माध्यम से करवा रहे हैं, वही पशुओं का टीकाकरण व कृत्रिम गर्भाधान सहित अन्य सुविधाओं का लाभ भी प्राप्त हो रहा है।
जिले के लाखों पशुधन को मिल रहा घर बैठे उपचार
जिले के विभिन्न क्षेत्रों में निवासरत अपने पशु के बीमार होने पर चिंतित रहते थे, कैसे उसको अन्य स्थान पर लेकर उसका उपचार कराया जाए। ऐसे में राज्य सरकार की इस योजना ने पशुपालकों की इस चिंता को दूर कर दिया है। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. रामलाल मीणा ने बताया कि सेवा का लाभ लेने के लिए, पशुपालकों को 1962 नंबर पर कॉल करना होता है। इसके बाद पशुपाल के घर पहुंचकर इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। पशुओं के दुर्घटनाग्रस्त होने पर भी 1962 नंबर पर कॉल किया जा सकता है। इसके अलावा पशुपालकों को कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा भी मिल रही है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में बूंदी में जिले में गौवंश 1 लाख 95 हजार , भैंस 3 लाख 25 हजार, भेड़ 59 हजार 600, बकरी 3.95 हजार पशुधन हैं। जिनको मोबाइल वेटनरी युनिट के माध्यम से राज्य सरकार की योजना का घर बैठे लाभ दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिले में योजना के तहत 8 मोबाइल यूनिट संचालित है। इनके माध्यम से अब तक 2401 कैंप आयोजित किए जाकर पशुओं को उपचार एवं अन्य सुविधाएं मुहैया करवाई जा चुकी है। उन्होंने बताया कि अब तक जिले में मोबाइल यूनिट के माध्यम से 38 हजार 732 पशुओं का वैक्सीनेशन करते हुए 12 हजार से अधिक किसानों को योजना का लाभ दिया जा चुका है।

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