144 वां जयाचार्य निर्वाण दिवस समारोह

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-मर्यादा और अनुशासन आज की आवश्‍यकता : देवनानी

-देवनानी ने मुनि तत्‍वरूचि तरूण से लिया आशीर्वाद

जयपुर। राजस्‍थान विधानसभा अध्‍यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि मर्यादा और अनुशासन संयमित जीवन के मूल आधार है। मानव जीवन को ऊंचाइयों पर ले जाने वाली मर्यादा व अनुशासन की अखण्‍ड ज्‍योति को निरन्‍तर प्रज्‍ज्‍वलन के लिए प्रत्‍येक व्‍यक्ति को इन दोनों गुणों को आचरण में लाना होगा। वर्तमान में समाज में सदभावना बनाये रखने के लिए भी मर्यादा व अनुशासन आवश्‍यक है।

विधानसभा अध्‍यक्ष देवनानी शुक्रवार को यहां रामनिवास बाग़ स्थित साधना प्रज्ञापीठ, जयाचार्य स्‍मारक पर जयाचार्य के 144वें निर्वाण दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। देवनानी ने इस मौके पर जयाचार्य स्‍मारक पर भावांजलि अर्पित की। स्‍पीकर देवनानी ने समारोह में मुनि तत्‍वरूचि तरूण के प्रवचन सुने और उनसे आशीर्वाद भी लिया।

देवनानी ने कहा कि एक गुरु एक विधान परम्‍परा के तहत तेरापंथ संघ ने एक प्रखर नेतृत्‍वकर्त्‍ता, अनुशासनप्रिय, दर्शन व चिंतन के सफल भास्‍यकार, साहित्‍यकार और दूरदृष्‍टा के कृतित्‍त्‍व व व्‍यक्तित्‍व से नवीन ऊचाईयां प्राप्‍त की है। उन्‍होंने कहा कि आज के अस्थिरता पूर्ण वातावरण में एक आचार्य के नेतृत्‍व में सैंकडों साधु साध्वियों द्वारा उपासना करना एवं श्रावक समाज द्वारा उन मूल्‍यों को अपनाना आश्‍चर्यजनक है। निज पर शासन फिर अनुशासन के मंत्र का अनुसरण करते हुए जैन समाज राष्‍ट्र निर्माण में महत्‍वपूर्ण योगदान दे रहा है। भारत के इतिहास में जैन समाज द्वारा सदैव अहिंसा को प्राथमिकता दी गई है। वर्तमान के तनावपूर्ण वैश्विक वातावरण में अंहिसा विश्‍व में शांति का संदेश दे सकता है।

देवनानी ने कहा कि जैन दर्शन का भारत के स्‍वतन्‍त्रता आंदोलन में योगदान रहा है। उन्‍होंने महाराणा प्रताप के स्‍वराज प्राप्ति में कोष उपलब्‍ध करवाने वाले जैन अनुयायी भामाशाह और सन 1857 की क्रान्ति में रानी लक्ष्‍मीबाई को धन सहायता प्रदान करने वाले अमरचन्‍द बाठिया का स्‍मरण किया। उन्‍होंने कहा कि राजस्‍थान में अनेक जैन साहित्‍यकार और पुरातत्‍ववेत्‍ताओं ने राजस्‍थान के समृद्ध इतिहास, कला, संस्‍कृति और पुरातत्‍व महत्‍व के भवनों को सहजकर रखने में महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है।

देवनानी ने कहा कि सादगी, तपस्‍या, समानता, शिक्षा और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में तेरापंथी जैन समाज द्वारा दिये गये योगदान को आने वाली पीढिया भी याद रखेंगी। देवनानी ने कहा कि अहिसष्‍णुता और असमानता जैसी विकृतियां समाज से समाप्‍त करने में सभी को सक्रिया भागीदारी निभानी होगी, ताकि सभी लोग जीओ और जीने दो के सिद्धान्‍त पर जीवन जी सके।

समारोह में मुख्‍यमंत्री भजन लाल शर्मा का संदेश अजीत मांडा ने पढकर सुनाया। समारोह को गौतम बरडिया, प्रज्ञा सुराणा, विमल गोलच्‍छा, ओमप्रकाश और शांति लाल ने भी सम्‍बोधित किया। इस अवसर पर समाज के गणमान्‍य लोग मौजूद थे।

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