इमरजेंसी पर अखिलेश के यूटर्न से पार्टी नेताओं में नाराजगी

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लखनऊ। भारत सराकर या कहें मोदी सरकार ने हर साल 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया है। 25 जून 1975 वह दिन था जब तत्कालीन भारत (कांग्रेस) सरकार की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान को ताक पर रखकर देश में आपातकाल (इमरेंसी) लागू कर दिया था। लोगों के मौलिक अधिकार तक छीन लिये गये थे। देश के कई बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। समाचार पत्रों पर सेंसरशिप लगा दी गई थी। सरकार को बिना दिखाई कोई खबर नहीं छापने पर प्रतिबंद्ध लगा दिया गया था। इमरजेंसी के दौरान समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता मुलायम सिंह यादव भी 19 महीने तक जेल में रहे थे। कुछ समय पूर्व प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस बात का वर्णन करते हुए बताया था कि किस तरह नेताजी मुलायम सिंह यादव ने इंदिरा गांधी के शासनकाल में लगाए गए आपातका में लोकतंत्र के मुख्य सिपाही की भूमिका अदा की थी।

इस बात का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें दिल से याद किया था। बता दें कि राम मनोहर लोहिया के आदर्शों से प्रभावित मुलायम सिंह ने इमरजेंसी के दौरान 1975 में करीब 19 माह तक जेल की सजा काटी थी। यह इतिहास के पन्नों में सिमट के रह गया है नई सपा अब इमरजेंसी लगाने वालों के साथ खड़ी है और इसका विरोध करने वालों को आईना दिखा रही है।वैसे इसके खिलाफ पार्टी में विरोध भी शुरू हो गया है। सपा विधायक रविदास महरोत्रा ने आरोप लगाया है कि सपा प्रमुख अखिलश यादव कांग्रेस की गोद में बैठ गये हैं, जबकि सबको पता है कि इमरजेंसी के समय नेताजी मुलायम सिंह यादव को लाठियां और जेल में प्रताड़ना सहनी पड़ी थी।

गौरतलब हो, 25 जून 1975 की आधी रात से 21 मार्च 1977 तक देश में इमरजेंसी रहा। इस दौरान जनता के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए। इस दौरान मुलायम सिंह यादव ने कई आंदोलन में हिस्सा लिया। इमरजेंसी लागू होने के बाद बाकी विपक्षी नेताओं की तरह ही मुलायम सिंह भी जेल भेजे गए। वहीं 25 जून को जब मोदी सरकार ने संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया तो सपा प्रमुख और मुलायम के पुत्र अखिलश यादव इसके विरोध में खड़े हो गये हैं। इस पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव का जबर्दस्त रिएक्शन आया है। उन्होंने कहा कि 30 जनवरी को ‘बापू हत्या दिवस’ व ‘लोकतंत्र हत्या दिवस’ के संयुक्त दिवस के रूप में मनाना चाहिए।

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