लखनऊ। मोदी सरकार द्वारा पहली जुलाई से पूरे देश में भारतीय न्याय संहिता प्रभावी किये जाने के बाद अब समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लागू होने की सुगबुगाहट तेज है। उधर, यूसीसी की सुगबुगाहट होते ही इसका विरोध भी प्रारंभ हो गया है। इसकी मुखर मुखालफत लखनऊ से शुरू हुई है। दरअसल,लखनऊ में ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएसपीएलबी) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि समान नागरिक संहिता उन्हें किसी दशा में स्वीकार नहीं है। उनकी कौम देश के कानून से नहीं चलेगी, बल्कि शरीयत कानून को ही मानेगी। बोर्ड ने धमकी वाले अंदाज में कहा है कि सरकार यूसीसी बनाने की प्रक्रिया को रोक दे। इसके साथ ही चेतावनी दी गई कि यदि मोदी सरकार ने हमारा अनुरोध नहीं माना तो मोहर्रम के बाद आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अध्यक्षता करते हुए मौलाना सैयद सायम मेहंदी ने कहा कि यूसीसी को लेकर दो साल से केंद्र सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि इस दिशा में न बढ़ा जाये, शिया कौम का कानून शरीयत है, सभी उसे मानते हैं और आगे भी मानते रहेंगे। कोई शिया कचहरी या थाना में न जाये ये संभव नहीं है, तब ऐसे कानून को लाया ही क्यों जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी को विधानसभा से पारित कराकर राज्यपाल के पास भेजा है, ये सिर्फ इसीलिए हुआ ताकि शिया कौम सरकार की खुशामद करें। इसके लागू होने से देश में अमन-चैन कायम नहीं रह सकेगा। इसके साथ ही सैयद मेहंदी ने कहा कि आठ जुलाई से मोहर्रम शुरू हो रहा है। इसी दौरान कांवड़ यात्रा भी निकलेगी, शिया कौम को इस यात्रा से दिक्कत नहीं है, प्रदेश सरकार कांवड़ियों को सुविधाएं भी दे रही है।