झूठ बोले कौवा काटे। यह कहावत हम जन्म से ही सुनते आ रहे है। ऐसा इसलिए कहा जाता है कि ताकि लोग झूठ बोलने से बचें और सत्य बोलें। बचपन से ही हमें सच बोलने की सीख दी जाती है। यह रटाया जाता है झूठ बोलना पाप है। मगर अब तो समूची सियासत ही झूठ सी काली हो गयी तो कौन क्या करें। सियासत का सच तो यह है आज झूठ को सच बताने का पूरा अभियान चल रहा है। झूठ ही सच है, झूठ की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है। लगता है भ्रष्टाचार विरोध को तिलांजलि देकर आम आदमी पार्टी के नेताओं ने झूठ को अपना लिया है। इस पार्टी के नेताओं ने झूठ की महारथ हासिल करली है। कल तक केजरीवाल की खासमखास रही स्वाति मालीवाल के बारे में एक से एक झूठ परोसे जा रहे है। केजरीवाल कह रहे है मोदी ने कह दिया है शराब घोटाले में केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं है जब कि मोदी ने इतना ही कहा कि सरकार में रहे अफसर को मालूम होगा कि ईडी और सीबीआई कैसे एक्शन लेगी। इसलिए बचने की व्यवस्था वो पहले से ही करके रख लेते हैं। लोकनायक जय प्रकाश नारायण और पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की तरह अरविन्द केजरीवाल की गिनती भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के नायक के रूप में स्थापित हुई थी। अन्ना आंदोलन के प्रमुख सेनानी रहे केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी की स्थापना कर देश की राजधानी दिल्ली के निवासियों का दिल जीतने में सफल रहे। इस पार्टी ने कांग्रेस और भाजपा का सूपड़ा साफ़ कर दिल्ली की सत्ता हासिल करली थी। आज़ाद भारत में किसी नव गठित पार्टी का ऐसा करिश्मा पहली बार हुआ था। राजनीतिक दल के गठन के साथ ही केजरीवाल से अन्ना हजारे ने दूरी बना ली। मगर ऐसा क्या हुआ कि केजरीवाल के साथी एक एक कर उनका साथ छोड़ते गए और पार्टी भ्रष्टाचार के दल दल में फंसती गई। ताज़ा मुद्दा स्वाति मालीवाल का था। केजरीवाल की खासम खास रही स्वाति अन्ना आंदोलन के पहले से केजरीवाल के साथ थी। स्वाति की इसी खूबी के कारण उसे पहले महिला आयोग का अध्यक्ष और फिर राज्य सभा का सदस्य बनाया गया। जो काम आज केजरीवाल के लिए आतिशी कर रही है वही काम पहले स्वाति मालीवाल करती थी। एक समय था जब प्रशांत भूषण, कुमार विश्वास, योगेंद्र यादव, आशुतोष, किरण बेदी, शाजिया इल्मी, आशीष खेतान, नवीन जयहिंद, कपिल मिश्रा आदि साये की तरह केजरीवाल के साथ रहते थे। आज इनमें से कोई भी केजरीवाल के साथ नहीं है। ये सभी आम आदमी पार्टी से दूर हो चुके है। यही नहीं शांति भूषण जैसे एक करोड़ रूपये आम आदमी पार्टी को देने वाले ख्यातनाम वकील भी पार्टी को छोड़ चुके थे। अन्ना आंदोलन के जनक अन्ना हजारे ने भी केजरीवाल के कृत्यों की निंदा की है। देश में तीन बार भ्रष्टाचार के खिलाफ जन आंदोलन का बिगुल बजा था। भ्रष्टाचार के विरुद्ध पहले जनांदोलन की अगुवाई लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने सातवें दशक में की थी। फलस्वरूप जनता के भरपूर समर्थन की बदौलत तत्कालीन कांग्रेस सरकार का तख्ता पलट हुआ था। दूसरा आंदोलन वीपी सिंह ने खड़ा किया था। भ्रष्टाचार के विरुद्ध तीसरा और बड़ा जन आंदोलन अन्ना हज़ारे ने 2012 में खड़ा किया था। इस आंदोलन में अरविन्द केजरीवाल, कुमार विश्वास, किरण बेदी, बाबा रामदेव, प्रशांत और शांति भूषण, योगेंद्र यादव, अलका लांबा, मनीष सिसोदिया, जनरल वीके सिंह आदि साथी उनके साथ थे। इस आंदोलन के फलस्वरूप केजरीवाल जन नेता के रूप में उबरे और दिल्ली की जनता का विश्वास अर्जित करने में सफलता हासिल की। दिल्ली की सत्ता प्राप्त करने के बाद केजरीवाल के प्रमुख साथ धीरे धीरे उनका साथ छोड़ गए। इन सब में सिर्फ मनीष सिसो दिया ही केजरीवाल के साथ बचे। इस दौरान केजरीवाल का आंदोलन भी भटक गया। भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष कर दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने वाले केजरीवाल आज खुद भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए। खुद को कट्टर ईमानदार बताने वाले आज खुद भ्रष्टाचरण में जेल की हवा खा रहे हैं। केजरीवाल की पार्टी अपने नेता की गिरफ़्तारी के खिलाफ कोई बड़ा आंदोलन खड़ा करने में कामयाब नहीं हुई। जनता का समर्थन भी नहीं मिला। दूसरी तरफ दिल्ली हाई कोर्ट ने शराब घोटाले में उनकी गिरफ़्तारी को जायज बताते हुए केजरीवाल को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट का मांनना है उनकी गिरफ़्तारी के पर्याप्त सबूत जाँच एजेंसी के पास है। हालाँकि आम आदमी पार्टी कोर्ट के फैसले के बावजूद अपने नेता को दोषी मानने से इंकार कर रही है और इसे भाजपा का षड़यंत्र बताने से नहीं चूक रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल अन्ना आंदोलन के दौरान भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करते तिहाड़ जेल में बंद हुए थे और आज वही केजरीवाल खुद भ्रष्टाचार के आरोपों में तिहाड़ जेल में बंद है। इसे विधि का विधान ही कहा जायेगा कि अन्ना आंदोलन के दौरान सोनिया गांधी को भ्रष्टाचरण में जेल भेजने की मांग करने वाले अरविन्द केजरीवाल आज खुद तिहाड़ जेल में बंद है।
– बाल मुकुन्द ओझा