टोंक। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश दिनेश कुमार जलुथरिया के निर्देशन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा पीपल पूर्णिमा के अबूझ सावों में बाल विवाह की रोकथाम हेतु जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन पॉजि़टिव ट्रेनिंग सेंटर टोंक में किया गया। इस अवसर पर पैनल अधिवक्ता अशोक कुमार साहू ने जानकारी दी कि समाज में विद्यमान अनेक सामाजिक कुरीतियों में से बाल-विवाह की रोकथाम के लिये बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 पारित किया गया, जिसके तहत लडक़े की 21 वर्ष एवं लडक़ी की 18 वर्ष आयु निर्धारित की गई है।
उन्होने कहा कि बाल विवाह में किसी भी तरह का सहयोग करने अथवा शामिल होने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जाती है, जिसके तहत 2 वर्ष का कारावास व 1 लाख रूपये के जुर्माने का प्रावधान है। पीएलवी हरिराम गुर्जर ने जानकारी दी कि बाल विवाह होने से स्त्री व पुरूष का शारीरिक व मानसिक विकास प्राकृतिक रूप से नही हो पाता है। उन्होने कहा कि बाल विवाह का सबसे बुरा प्रभाव महिलाओं पर होता है। सभी की कोशिश यह होनी चाहिये कि जन-जागरूकता एवं समझाईश के माध्यम से इस सामाजिक कुरीति को जड़ से खत्म किया जाये।