झालावाड़। कृषि विज्ञान केन्द्र, झालावाड़ द्वारा मनोहरथाना के घड़ावली में ‘‘गर्मी की गहरी जुताई के महत्त्व’’ विषय पर असंस्थागत प्रशिक्षण आयोजित किया गया।
प्रशिक्षण प्रभारी डॉ. सेवाराम रूण्डला ने असंस्थागत प्रशिक्षण में ‘‘गर्मी की गहरी जुताई के महत्त्व’’ के बारे में किसानों को बताया कि समय पर गर्मी की गहरी जुताई करने से खेतों में हानिकारक कीट और रोगों के अवशेषों का प्रबंधन, खरपतवार प्रबंधन एवं जल संरक्षण में सहायक होती है। इससे खरपतवारों के बीज नष्ट होने के साथ ही फसलों की प्रारंभिक अवस्था में खरपतवारों द्वारा होने वाले नुकसान से फसलों को बचाया जा सकता हैै।
गहरी जुताई से वर्षा जल का उचित प्रबंधन किया जा सकता है, जिसके उपरांत फसलों को सिंचाई में मदद मिलती है। “खेत का फसल अवशेष व कचरा खेत में, खेत का पानी खेत में” के सिद्धांत की पालना गहरी जुताई से ही संभव है।
उन्होंने बताया कि किसानों को जागरूकता रखते हुए गहरी जुताई करने की पहल करनी चाहिए ताकि टिकाऊ कृषि उत्पादन एवं मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन को परिलक्षित किया जा सके। साथ ही मृदा जांच हेतु उचित नमूना संग्रहण कर फसलों में पोषक तत्व प्रबंधन करना चाहिए। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. टी.सी. वर्मा ने बताया कि प्रशिक्षण में 38 कृषकों द्वारा भाग लिया गया।

‘‘गर्मी की गहरी जुताई के महत्त्व’’ विषय पर असंस्थागत प्रशिक्षण हुआ आयोजित
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