खुशी की तलाश में गुजरी तमाम उम्र तरसते रहे- अबुल मुजाहिद जाहिद
सीकर, (मुहम्मद सादिक)। खुशी की तलाश में गुजरी तमाम उम्र तरसते रहे खुशी के लिए “तमाम उम्र खुशी की तलाश में गुजरी तमाम उम्र तरसते रहे खुशी के लिए! अबुल मुजाहिद जाहिद जी का यह शेर वर्तमान परिप्रेक्ष्य की बिल्कुल ठीक व्याख्या करता है । पिछले कुछ दशको में, हमने बहुत अधिक आर्थिक प्रगति देखी है और लगभग हर देश की प्रति व्यक्ति आय के साथ-साथ जीवन स्तर में भी वृद्धि हुई है। फिर भी, जब हम आज के बच्चे, युवा व वृद्ध लोगो को देखते हैं, तो तनाव, अवसाद, अकेलापन और अन्य मानसिक परेशानियों से ग्रस्त नजर आते है, तथा इस तह के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, WHO के अनुसार आज 280 मिलियन लोग अवसादग्रस्त हैं। जिस प्रकार वायु प्रदूषण से श्वास सम्बंधित रोग, ध्वनी प्रदूषण से कान सम्बंधित रोग होने का खतरा बढ जाता है , ठीक उसी प्रकार वैचारिक प्रदूषण से मानसिक रोग होने का खतरा बढ जाता है। विचारों, शब्दों और कार्यों के बीच सामंजस्य की कमी व्यक्ति को मतभेद की ओर ले जाती है । यह आंतरिक संघर्ष, चिंता और तनाव को जन्म देता है । भारत में, हर साल बड़ी संख्या में छात्र आत्महत्या करते है, एक रिपोर्ट के अनुसार 15-29 आयु वर्ग के 35 छात्र प्रतिदिन आत्महत्या करते हैं। यह न केवल दुखद है क्योंकि हम उनकी महान क्षमता को खो रहे हैं, बल्कि हम अपने छात्रों को मौलिक जीवन कौशल यानी खुश कैसे रहें के बारेमेंशिक्षितकरनेमेंभी सक्षम नहींहैं । हम एक मछली को पेड़ पर चढाने की कोशिश करते हैं और जब वह संघर्ष करती है, तो हम उसके प्रयास या प्रतिभा की कमी के लिए उसे दोषी ठहराते हैं। यह हमारी गलती है कि काल्पनिक प्रसन्नता की तलाश में हम वास्तविक प्रसन्नता का त्याग कर देते हैं।यह संभव हो सकता है क्योंकि भौतिक प्रगति की दौड़ में, हम कहीं न कहीं सादगी और प्रामाणिकता के विचार से विमुख हो गए हैं जो किसी के जीवन में संपूर्णता लाता है। अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस हर साल मनाए जाने का मुख्य कारण लोगों को इस बारे में समझाना भी है कि विश्व में कितने ऐसे लोग है, जो खुशियों की कमी के साथ अपना जीवन जी रहे हैं। बढ़ता तनाव उनके जीवन को मुश्किल कर रहा है। वे केवल अपने काम तक सीमित रह पा रहें है, वह अपने पसंद के कार्य, जिन्हें करने से उन्हें खुशी मिलती है, वो भी नहीं कर पा रहे हैं। लोगों को समझने की आवश्यकता है कि एक अच्छे जीवन के लिए जितना आवश्यक काम करना है, उतना ही आवश्यक मेंटल हेल्थ और फिजिकल हेल्थ को ठीक रखना भी हैं। इसलिए उन्हें ऐसे कार्य करने की आवश्यकता है जो उन्हें शांति और खुशी दें, इस दिवस के माध्यम से लोगों को उनकी भलाई और पॉजिटिव मेंटल हेल्थ के बारे में बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।