गहलोत ने पायलट के फोन टेप करवाए’, CM के OSD के खुलासे पर BJP ने कहा- जांच होनी चाहिए

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राजस्थान के निवर्तमान सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच आंतरिक कलह किसी से छिपी नहीं है। अशोक गहलोत के विशेष कर्तव्य अधिकारी (ओएसडी) ने दोनों नेताओं के बीच आंतरिक विवाद से जुड़ा एक और खुलासा किया है। ओएसडी ने खुलासा किया कि राजस्थान के पूर्व सीएम, अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर निगरानी रखी थी, जब उन्होंने अपने वफादार विधायकों के साथ 2020 में विद्रोह किया था। उन्होंने यह भी कहा कि सचिन पायलट का फोन भी टैप किया जा रहा था, जब वह उस साल 18 पार्टी विधायकों के साथ मानेसर में रूके थे। लोकेश शर्मा का आरोप
ओएसडी लोकेश शर्मा ने कहा कि राजस्थान में उस वक्त सियासी संकट खड़ा हो गया था जब सचिन पायलट 18 विधायकों के साथ मानेसर चले गए थे। यह बिल्कुल स्वाभाविक है कि सरकार उन लोगों पर नज़र रखने के लिए निगरानी उपाय करती है जिनसे कोई व्यक्ति मिल रहा है। सरकार गिरने की कगार पर थी। उन्होंने यह भी कहा कि पायलट के साथ-साथ उनके लोगों और उनकी बैठकों पर भी लगातार नजर रखी गई। ऐसी कार्रवाइयों के पीछे मुख्य कारण यह था कि यदि वह अपने विद्रोह के साथ आगे बढ़ते हैं तो सुधारात्मक कदम उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए। इस निगरानी के कारण ही हम कुछ लोगों को वापस लाने में सफल रहे। शर्मा ने कहा, ”किसी व्यक्ति का पीछा करना निगरानी का एक हिस्सा था।”
भाजपा की प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता सचिन पायलट की कथित फोन टैपिंग पर बीजेपी नेता दीया कुमारी ने कहा कि ये बहुत बड़ा आरोप है। अगर ओएसडी ने ऐसा कहा है तो जरूर कुछ सच्चाई होगी। इसकी जांच होनी चाहिए। अगर उसने ऐसा किया है तो यह गैरकानूनी है। शिव सेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि लोकेश शर्मा 5 साल तक अशोक गहलोत के साथ थे। उन्होंने तमाम बैठकों और आयोजनों में हिस्सा लिया। क्या उन्हें सारी कमियां हार के बाद ही नजर आ रही हैं? क्या वह पहले नहीं बोल सकते थे? इससे पता चलता है कि वह शुभचिंतक नहीं हैं…लेकिन हां, कुछ मुद्दे हैं जिन पर कांग्रेस पार्टी के भीतर चर्चा की जरूरत है। पार्टी को आत्ममंथन करना चाहिए कि दोनों वरिष्ठ नेताओं के बीच पहले भी विवाद हो चुका है – तो इसे कैसे सुलझाया जाना चाहिए।
गहलोत और पायलट के बीच मतभेद
आरोपों पर कांग्रेस नेता गहलोत और पायलट या उनके सहयोगियों की ओर सेकोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। शर्मा को राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट से वंचित कर दिया गया था और चुनाव में पार्टी की हार के लिए वह गहलोत पर निशाना साध रहे हैं। शर्मा ने कहा कि अगर पिछले साल सितंबर की घटनाएं नहीं होतीं, जब विधायक दल की बैठक को गहलोत के वफादारों ने नहीं होने दिया था और कांग्रेस पर्यवेक्षकों ने उस एजेंडे को पूरा किया होता जिसके लिए वे आए थे, तो राजस्थान में तस्वीर इससे कुछ अलग होती। कांग्रेस नेतृत्व नेतृत्व परिवर्तन करना चाहता था और पायलट को मुख्यमंत्री बनाना चाहता था। उन्होंने कहा कि गहलोत और पायलट के बीच मतभेदों ने पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया।

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