अगर आपको भी अनजान नंबरों से कॉल आई हैं तो सावधान हो जाइए। ये अनजान कॉल आपके अकाउंट को पूरी तरह से खाली कर देंगे। साथ ही वो अपको अपने ही जाल में इस तरह से फंसाएगी की जहां से बचना का कोई रास्ता नहीं है। देश के कई हिस्सों से अब इस तरह की कहानियां सामने आ रही हैं। जहां साइबर ठगों ने लोगों को मजबूर कर उनके पैसे हड़पे हैं। इसी से जुड़ा एक मामला नोएडा से सामने आया है। जहां साइबर ठगों ने एक महिला इंजीनियर को डरा धमकाकर उससे 11 लाख रुपये ठग लिए।
बता दें कि, रीता यादव के मुताबिक कुछ दिनों पहले एक महिला इंजीनियर ने शिकायत दी कि उसके पास सुबह-सुबह एक कॉल आई। कॉल करने वाले ने बताया कि वह ट्राई से बोल रहा है, और अगले 2 घंटे में उसका फोन बंद हो जाएगा। इसके बाद उस शख्स ने महिला को एक नंबर दिया और बोला कि ये क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर का नंबर है इनसे बात कर लीजिए।
इसके बाद महिला ने इंस्पेक्टर को तुरंत कॉल किया तो वो शख्स तुरंत Skype कॉल पर आ गया। उसने महिला से कहा कि पहले तो आप कहीं जाएंगी नहीं, अब बैठ जाइए, आपसे लंबी पूछताछ करनी है।
फिर उस नकली इंस्पेक्टर ने कहा कि आपका आधार और मोबाइल नंबर मनी लॉड्रिंग में आया है। एक अकाउंट खोला गया है जिसके जरिए मनी लॉन्ड्रिंग की गई है और कमीशन के तौर पर महिला को 20 लाख रुपये मिले हैं।
पुलिस के मुताबिक, महिला ने कहा कि उसके आधार का कहीं भी कोई इस्तेमाल नहीं हुआ है। लेकिन उस नकली अधिकारी ने फिर एक नकली आईपीएस से भी इस महिला की बात कराई।
ये सब कुछ वीडियो कॉल के दौरान हो रहा था। उन दोनों ने मिलकर महिला इंजीनियर को इतना डरा दिया कि वह 8 घंटे से ज्यादा वक्त तक मोबाइल के सामने से हिल नहीं पाई। क्योंकि ऐसा करने पर जेल भेज दिए जाने की धमकी उसे मिल रही थी। आखिर जमानत और दूसरी कानूनी कार्रवाई के नाम पर महिला से 11 लाख रुपये लेने के बाद स्कैमर्स ने फोन काट दिया।
इसके बाद महिला को शक हुआ कि कहीं उसके साथ फ्रॉड तो नहीं हुआ है। महिला साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन पहुंची, जहां उसे पता चला कि साइबर ठगों ने उसे चूना लगाया है और उसे डरा कर उसका अकाउंट खाली कर दिया है। हालांकि, बाद में साइबर पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज करा ली।
डिजिटल अरेस्ट क्या होता है?
फिलहाल बता दें कि, आखिर ये डिजिटल अरेस्ट होता क्या है। दरअसल, कानूनी भाषा में डिजिटल अरेस्ट नाम की कोई चीज होती ही नहीं है। लेकिन ठगों की भाषा में ये बेहद अहम है। नोएडा और फरीदाबाद में कुछ ऐसा ही हुआ है। डिजिटल अरेस्ट के मामले में स्कैमर्स एक वर्चुअल लॉकअप भी बना देते हैं और अरेस्ट मेमो पर दस्तखत भी डिजिटल कराया जाता है।