
अजमेर । पांच माह के चातुर्मास समाप्ति के अवसर पर विदाई की बेला पर श्रावक-श्राविकाओं के मन के जज्बात गीतों व विचारों के माध्यम से सामने आए। चातुर्मास समापन के बाद भी अजमेर की धरा को पावन करने की विनती की गई।
प्रवक्ता गजेन्द्र बोहरा ने बताया कि वैशाली नगर, पार्श्वनाथ कॉलोनी स्थित ओसवाल भवन में विराजित जैन सन्त मुकेश मुनि के सानिध्य में चौमासी पक्खी पर श्री संघ की ओर से चतुर्मासिक विदाई समारोह रखा गया। मुकेश मुनि ने कहा कि वैशाली नगर सहित पूरे अजमेर जैन समाज की गुरु भक्ति व जिनशासन सेवा की भावना की जितनी अनुमोदना की जाए कम है। हरीश मुनि ने जैन धर्म के प्रणेता वीर लोकाशाह के जीवन का चित्रण करते हुए उनके जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही। नानेश मुनि व हितेश मुनि ने गीतों व विचारों के माध्यम से मन की भावनाएं व्यक्त की।
विदाई समारोह में दिगम्बर संत संकल्प सागर जी महाराज ने धर्म की महता बताते हुए अहिंसा, संयम तप रूपी धर्म ही उत्कृष्ट मंगल हैं। इस मौके पर दिगम्बर संत सद्भाव सागर महाराज भी उपस्थित रहे। समारोह में स्वीटी पीपाडा, नीलू कांकरिया, सुलोचना सुराणा, दीप्ती कुमट, सर्वधर्म सभा के प्रकाश जैन ने अपने विचार प्रकट किए। इस अवसर पर संघ समाज की ओर से हितेश मुनि को चादर ओढ़ा कर ‘प्रज्ञा रत्न’ को उपाधि से नवाजा गया।