गोपाष्टमी पर्व श्रद्धा पूर्वक मनाया

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लक्ष्मणगढ़ (अलवर) कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आज गोपाष्टमी पर्व मनाया गया। त्योहार को मनाए जाने की परंपरा द्वापर युग से ही चली आ रही है। गोपाष्टमी पर गो माता की पूजा का महत्व है।
योग शिक्षक पंडित लोकेश कुमार ने बताया कि कार्तिक मास हिंदू धर्म का सबसे पवित्र और उत्तम महीना माना जाता है। इस मास कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार हैं, जिसमें गोपाष्टमी भी एक है। पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन गोपाष्टमी का पर्व आज मनाया यह पर्व गाय की पूजा के लिए समर्पित है।
कहा जाता है कि, भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर कार्तिक शुक्ल सप्तमी तक गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ ऊंगली पर धारण किया था। इसके बाद आठवें दिन इंद्र देव का अहंकार खत्म हुआ और वे श्रीकृष्ण से माफी मांगने पहुंचे। इसके बाद से ही इस दिन यानी अष्टमी तिथि पर गोपाष्टमी उत्सव मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई।
श्रीमद्भागवत गीता में यह उल्लेख है कि, भगवान श्रीकृष्ण बाल्यावस्था में गायों संग खेला करते हैं और वे गायों की सेवा भी करते थे। उन्हें गाय से बहुत प्रेम था। गोपाष्टमी पर गायों की पूजा करने से सुख-सौभाग्य व समृद्धि की प्राप्ति होती है। आज के दिन गाय और गाय के बछड़े की भी पूजा लोगों द्वारा की गई ।

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