जस्टिस बीवी नागरत्ना हुईं नाराज, 24 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की मांग वाली याचिका पर आया खंडित फैसला

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सुप्रीम कोर्ट ने एक विवाहित महिला को 26 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देने वाले अपने पिछले आदेश के खिलाफ सरकार के एक आवेदन पर बुधवार को खंडित फैसला सुनाया। अदालत ने महिला को यह ध्यान में रखते हुए कि वह अवसाद से पीड़ित थी और भावनात्मक, आर्थिक और मानसिक रूप से तीसरे बच्चे को पालने की स्थिति में नहीं थी, अपनी गर्भावस्था का चिकित्सकीय समापन करने की अनुमति दे दी थी। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ, जिसने 9 अक्टूबर का आदेश पारित किया था। जिसमें कहा कि केंद्र की याचिका अब मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष रखी जाएगी ताकि निर्णय के लिए उचित पीठ को भेजा जा सके। विधि अधिकारी ने कहा कि चिकित्या बोर्ड के ये कहने के बावजूद कि भ्रूण के जन्म लेने की संभावना है और उन्हें भ्रूणहत्या करनी होगी।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि क्या आप औपचारिक आवेदन के साथ आ सकते हैं। हम उस पीठ के समक्ष रखेंगे जिसने आदेश पारित किया। एम्स के डॉक्टर बेहद गंभीर दुविधा में हैं। मैं कल सुबह एक पीठ का गठन करूंगा।

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