जनजाति उपयोजना अंतर्गत बकरी पालन पर 6 दिवसीय प्रशिक्षण हुआ संपन्न

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बून्दी। कृषि विज्ञान केन्द्र पर जनजाति उपयोजना के अन्तर्गत छः दिवसीय (1 से 6 अगस्त तक ) बकरी पालन प्रशिक्षण सम्पन्न हुआ। जिसमें जिले के 25 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया।
वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष प्रो. हरीश वर्मा ने कृषकों को सम्बोधित करते हुए बताया कि बेरोजगार युवाओं के लिए बकरी पालन एक लाभकारी व्यवसाय बन सकता है। बकरी पालन करने पर इससे दूध, मांस व खाद प्राप्त होती है। जिसका विपणन करके अच्छी आय अर्जित की जा सकती है। इसलिए बकरी पालन को व्यवसाय के रूप में अपनाकर रोजगार का साधन बनाया जा सकता है।
प्रशिक्षण प्रभारी डाॅ घनश्याम मीना ने प्रशिक्षण के दौरान पशुपालक प्रशिक्षणार्थियों को बकरी में होने वाले रोगों की रोकथाम, बकरी की उत्तम नस्लें, गर्भावस्था के दौरान देखभाल, बकरियों में आहार व्यवस्था, बकरी का आवास, बकरियों के लिए आहार व चारा प्रबन्धन, टीकाकरण, चारे के लिए वृक्षारोपण, वर्षभर चारा उत्पादन, पशुआहार बनाने के बारे में जानकारी दी।
प्रशिक्षण के दौरान प्रायोगिक जानकारी जैसे बकरी का वजन तौलना, डी वार्मिंग (कीड़े मारने की दवाई पिलाना), टीकाकरण का समय तथा टीकाकरण की विधि, खुर काटना, उम्र का निर्धारण, आहार बनाना, टेग लगाना के बारे में बताया। साथ ही बकरी के दूध से उत्पाद जैसे पनीर, मावा बनाना, रिकाॅर्ड रखना तथा मांस से प्रसंस्कृत उत्पाद समोसे, कचोरी, पकौड़े, नगट्स आदि बनाना व पैक कर दूसरे स्थान पर भेजने से संबंधित जानकारी दी।
वरिष्ठ पशु चिकित्सक डाॅ. मुकेश कुमार मीणा ने अनुदानित बीमा योजनाओं की जानकारी दी जिससे पशुपालकों को आर्थिक क्षति से बचाया जा सके। बीमा के लिए पशुपालक किसी भी पशु चिकित्सालय में सम्पर्क कर सकते हैं।
बकरी पालन प्रशिक्षण के समापन पर प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किये गये। प्रशिक्षण के दौरान उद्यान वैज्ञानिक इंदिरा यादव, तकनीकी सहायक महेन्द्र चैधरी, वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता दीपक कुमार, लोकेश प्रजापत, चन्द्र प्रकाश श्रृंगी, विकास ताखर, दुर्गा सिंह सोलंकी व रामप्रसाद सहयोग प्रदान किया।

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