जयपुर | राजस्थान की बहुचर्चित SI भर्ती 2021 को लेकर एक बार फिर सरकार कोई अंतिम निर्णय नहीं ले सकी। हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई के दौरान सरकार ने फिर वक्त माँग लिया। इस पर कोर्ट ने नाराज़गी जाहिर करते हुए 1 जुलाई तक का आखिरी मौका दिया है। राज्य सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल विज्ञान शाह ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश कर कहा कि मुख्यमंत्री दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में व्यस्त थे, जिस कारण भर्ती को लेकर कैबिनेट स्तर पर कोई विचार नहीं हो सका। हालांकि इससे पहले 20 मई को सब-कमेटी की बैठक हो चुकी थी।
वकील का पलटवार—‘यह सिर्फ बहानेबाज़ी है’
याचिकाकर्ता के वकील हरेन्द्र नील ने अदालत में सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार इस मुद्दे को जानबूझकर लटकाना चाहती है ताकि भर्ती को लेकर स्पष्ट रुख अपनाने की ज़रूरत न पड़े। उनका कहना था कि हाईकोर्ट द्वारा दी जा रही बार-बार की मोहलतें अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
हाईकोर्ट की चेतावनी—‘परिणाम भुगतने होंगे’
पिछली सुनवाई में जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने साफ कहा था कि यदि सरकार 26 मई तक निर्णय नहीं लेती है तो प्रक्रिया में शामिल सभी जिम्मेदारों को इसके परिणाम भुगतने होंगे। इसके बावजूद सरकार कोई ठोस जवाब नहीं ला सकी।
अब तक की पूरी पड़ताल :
859 पदों पर RPSC ने SI और प्लाटून कमांडर भर्ती 2021 में निकाली थी। परीक्षा में पेपर लीक का मामला सामने आने के बाद सरकार ने जांच SOG को सौंपी। कई अभ्यर्थियों और ट्रेनिंग पर गए SIs को एसओजी ने गिरफ्तार किया। भर्ती को रद्द करने की माँग को लेकर कई याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की गईं। 18 नवंबर, 6 और 9 जनवरी को कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।इसी के चलते पुलिस मुख्यालय ने 10 जनवरी 2025 को फील्ड ट्रेनिंग पर रोक लगा दी।
राजनीतिक और प्रशासनिक पेच कहां?
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यही है कि सरकार आखिर फैसले से बच क्यों रही है? सब-कमेटी की बैठक हो चुकी है, सभी तथ्य सामने हैं, लेकिन अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री स्तर पर अटका हुआ है। नीति आयोग की मीटिंग को वजह बताकर एक संवेदनशील भर्ती प्रक्रिया को बार-बार टालना न केवल न्याय प्रक्रिया को प्रभावित कर रहा है, बल्कि हजारों युवाओं की मानसिक और आर्थिक स्थिति को भी झकझोर रहा है।
युवाओं की ज़िंदगी ठहराव में, और कोर्ट की दीवारों से टकराता इंसाफ
भर्ती प्रक्रिया के अभ्यर्थी पिछले चार सालों से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि न्याय मिलेगा, लेकिन राजनीतिक-प्रशासनिक खींचतान में न तो भर्ती रद्द हो रही है और न ही आगे बढ़ रही है। यह स्थिति युवाओं के भविष्य को एक ‘अनिश्चितता के दलदल’ में धकेल रही है। सवाल यह है कि क्या कोर्ट का 1 जुलाई तक का समय अब भी सरकार को फैसला लेने के लिए मजबूर कर पाएगा?
नज़र अगली सुनवाई पर.
अब निगाहें 1 जुलाई की अगली सुनवाई पर टिकी हैं। यह दिन तय करेगा कि राजस्थान में सरकार SI भर्ती पर कोई फैसला लेती है या एक बार फिर युवाओं को इंतज़ार की तल्ख राहों पर छोड़ दिया जाएगा।



